शत्रु स्तंभन प्रयोग.
नही परिचित होगा , जिसे कोई भी उपाय ना सूझे तो विधिवत ज्ञान ले कर इस विद्या का प्रयोग अपने रक्षार्थ करें निश्चय ही उसे लाभ होगा . पर न तो इस विद्या का ज्ञान देने वाले और न ही उचित प्रकार से प्रयोग करने वाले आज प्राप्त हैं और् सबसे
बड़ी समस्या यह हैं की इन प्रयोगों को
करने के लिए कैसे समय निकाला जाए .आज समय की कितनी कमी हैं यह तो
हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं
ही . साधना क्षेत्र मे दोनों तरह के विधान हैं लंबे समय वाले और कम समय वाले भी ..साधारणतः यह कहा जाता हैं की सबसे पहले कम समय वाले विधानों की तरफ गंभीरता से देखा जाना चाहिये और जब परिणाम उतने अनुकूल ना हो जितनी
आवशयकता हैं तब बृहद साधना पर ध्यान दे यह उचित भी है क्योंकि जहाँ सुई का काम हो वहां तलवार
की क्या उपयोगिता .. और तंत्र मंत्र के आधारमे एक महत्वपूर्ण अंग या विज्ञानं हैं
यन्त्र विज्ञानं ..अभी भी इसका एक
अंश मात्र भी सामने नही आया हैं . एक
से एक अद्भुत गोपनीय और दाँतों तले
अंगुली दवा लेने वाले रहस्यों से ओत प्रोत रहा हैं.यह विज्ञानं.हमारे द्वारा अनेक प्रयोग जो दिए जाते रहे हैं वह अनेको मनिशियों
,तंत्र आचार्यों और उच्च तांत्रिक ग्रंथो मे बहुत प्रशंषित रहे हैं और सैकडो ने उनके प्रयोग किये हैं और लाभ भी उठाया हैं , आवश्यकता बस इस बात की हैं की यदि समय हो तो क्यों न इन प्रयोगों की करके भी देखा जाये जो अनुभूत और सटीक रहे हैं .
आज यहा अदभुत शाबर मंत्र दे रहा हू-
होगा.जब शत्रु पर प्रयोग करना है तब एक मुठ्ठी काले उडद पर अमुक के जगह शत्रु का नाम लेकर 108 बार मंत्र बोले और उडद को शत्रु के घर मे या घर के दिशा मे फेक देना है,येसा करने से शत्रु को बहोत पिडा होता है,उसके गती-मती का स्तम्भण होता है.सिर्फ प्रयोग के समय अमुक के जगाह पर शत्रु का नाम लिजिये,मंत्र सिद्धी के समय नही.
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